Shodashi Secrets
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Kadi mantras are thought of as by far the most pure and in many cases are employed for bigger spiritual methods. They're associated with the Sri Chakra and therefore are thought to convey about divine blessings and enlightenment.
नवयौवनशोभाढ्यां वन्दे त्रिपुरसुन्दरीम् ॥९॥
पञ्चबाणधनुर्बाणपाशाङ्कुशधरां शुभाम् ।
साम्राज्ञी चक्रराज्ञी प्रदिशतु कुशलं मह्यमोङ्काररूपा ॥१५॥
Shodashi’s Vitality fosters empathy and kindness, reminding devotees to solution Other people with understanding and compassion. This gain promotes harmonious relationships, supporting a loving method of interactions and fostering unity in household, friendships, and Group.
She is the one particular owning Excessive magnificence and possessing electric power of delighting the senses. Remarkable intellectual and psychological admiration in the a few worlds of Akash, Patal and Dharti.
गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।
She would be the possessor of all wonderful and amazing factors, such as Bodily products, for she teaches us to possess devoid of being possessed. It is said that dazzling jewels lie at her feet which fell from your crowns of Brahma and Vishnu when they bow in reverence to her.
दृश्या स्वान्ते सुधीभिर्दरदलितमहापद्मकोशेन तुल्ये ।
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
कर्त्री लोकस्य लीलाविलसितविधिना कारयित्री क्रियाणां
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥११॥
Soon after slipping, this Yoni to the Hill, it reworked right into a stone for the advantage of individual but it is stated that also secretion of blood prevails periodically just as if Goddess menstruates.
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ more info कर लेता है।